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जीवित रहते गुर्दादान क्‍या है?

जीवित रहते गुर्दादान से तात्‍पर्य है कि कोई कोई जीवित दाता किसी गुर्दे के रोगी को अपना गुर्दा देता है। केवल एक गुर्दे के साथ सामान्‍य जीवन जीना संभव है। परिवार के सदस्‍य, पति/पत्‍नी और मित्र अपने प्रियजन को गुर्दादान कर सकते हैं। यहां तक कि गुमनाम तरीके से किसी अजनबी को भी गुर्दादान किया जा सकता है।

गुर्दादान करना क्‍यों महत्‍वपूर्ण है?

  • मृत व्‍यक्तियों से गुर्दा प्राप्‍त करने की प्रतीक्षा सूची बहुत लंबी है: 2.5 – 5 वर्ष। जीवित रहते गुर्दादान करने से गुर्दे के रोगियों को जल्‍दी मदद पहुंच पाती है।
  • गुर्दा दान करने का अर्थ है कि उसके बाद गुर्दे के रोगी को डायलिसिस कराने की ज़रूरत नहीं रह जाती। डायलिसिस कराने का अर्थ है कि गुर्दे के रोगी का रक्‍त फिल्‍टर किया जाता है। गुर्दे के रोगी को जीवित रखने के लिए डायलिसिस करना ज़रूरी होता है, लेकिन इसके बहुत से नुकसान भी हैं। यदि कोई जीवित दाता समय पर उपल्‍ब्‍ध हो जाए, तो डायलिसिस की आवश्‍यकता पूरी तरह खत्‍म हो सकती है। इसके लिए, डायलिसिस की ज़रूरत पड़ने से पहले ही, गुर्दा दान करने वाला व्‍यक्ति उपलब्‍ध होना चाहिए। नए गुर्दे से गुर्दे के रोगी की जीवन गुणवत्‍ता में बहुत हद तक सुधार हो जाता है।
  • एक स्‍वस्‍थ, जीवित दाता से प्राप्‍त गुर्दा अच्‍छी गुणवत्‍ता का होता है। एक जीवित गुर्दादाता का गुर्दा औसत रूप से 20 साल तक काम करेगा। किसी मृत दाता से प्राप्‍त गुर्दा प्राय: 10 साल तक काम करता है।
  • जीवित गुर्दादान के मामले में गुर्दे की गुणवत्‍ता को बेहतर रूप से संरक्षित रखा जा सकता है। ऐसा इसलिए है कि दाता और प्राप्‍तकर्ता की सर्जरी योजना बनाकर की जा सकती है।

अधिक जानकारी

जीवित रहते गुर्दादान करने के संबंध में अधिक जानकारी के लिए, आप एरेस्‍मस एमसी वीडियो क्लिप्‍स यहां देख सकते हैं।